बड़े बेक़दर हैं पिया, काहे जलाएँ जिया बड़े बेक़दर हैं पिया, ऐसा भी क्या कर दिया? बड़े बेक़दर हैं पिया, काहे जलाएँ जिया अनजाने बनते हैं, फिर क्यूँ तड़पते हैं? अनजाने बनते हैं, इतना बता दो ये दिल क्यूँ सुलगते हैं? क्यूँ दूरी सहते हैं? कुछ भी ना कहते हैं दूरी क्यूँ सहते हैं, तरसे हुए दो बदन कैसे रहते हैं? डूब जा डूब जा, आजा, मुझमें समाँ डूब जा, डूब जा कर ले गुनाह, मुझमें हो जा फ़ना मैं भी देखता हूँ, कैसे प्यार ना करना यार गुनाह है दिल फ़ेकता हूँ, संसार ये झूठा, प्यार कहाँ है? मैं सच जो कह दूँ, मेरी जाँ क्यूँ रूठती है? (uh, uh) जिस्म तो मिल जाएँ, पर रूह ये छूटती है मेरी आँखें हैं बंद, तभी रास्तों से तेरा चेहरा गुज़रता नहीं (नहीं) मेरी साँसें रुकती तू दोष देती, इल्ज़ाम सँभलता नहीं और हाल ही में हम दूर हुए, तभी वक़्त गुज़रता नहीं (नहीं) ना होते जुदा, मेरा आँसुओं से भरा जाम छलकता नहीं (-ता नहीं...) मेरा आँसुओं से भरा जाम छलकता नहीं जो भी चाहो तुम, आज वो कर लेना हाँ-हाँ, हमको कसके बाँहों में तुम भर लेना बातें अधूरी वो, करनी ज़रूरी हैं (हाँ, ये ज़रूरी है) बातें अधूरी वो, जैसे भी हों आज करनी तो पूरी हैं जो भी कहानी है अब तो निभानी है (अब तो निभानी है) रात एक बाँहों में तेरी बितानी है रात एक बाँहों में तेरी बितानी है डूब जा डूब जा, आजा, मुझमें समाँ डूब जा कर ले गुनाह, मुझमें हो जा फ़ना फ़ना बातें वो होनी ज़रूरी जो होती नहीं कभी काम से रुकना भी उतना ज़रूरी कि जाएँ ना हम तेरे नाम से पर क्या ही करें, अब दूरियाँ हीं कुछ ऐसी हुई हैं कि फ़ासले दिन से शुरू और ख़त्म हों जाएँ शाम पे बुझती नहीं, क्या प्यास है, oh-oh-oh क्या प्यास है (तू ही बता दे) Oh-oh-oh, इस दर्द में क्या ख़ास है? oh-oh-oh डूब जा डूब जा, कर ले गुनाह