Bheeg Gaya Mera Mann (Cherrapunjee)

Kailash Kher

तीखी-तीखी नुकीली सी बूँदें
बहके-बहके से बादल उनींदें
गीत गाती हवा में, गुनगुनाती घटा में
भीग गया मेरा मन
भीग गया मेरा मन

हो, मस्तियों के घूँट पी, शोख़ियों में तैर जा
इश्क़ की गलियों में आ, इन पालों में ठहर जा
रब का है ये आईना, शक्ल हाँ इसको दिखा
ज़िंदगी घुड़ दौड़ है, दो घड़ी ले-ले मज़ा
चमके-चमके ये झरनों के धारे
तन पे मलमल सी पड़ती फुँहारें
पेड़ हैं मनचले से, पत्ते हैं चुलबुले से
भीग गया मेरा मन
भीग गया मेरा मन

हो, डगमगाती चाँदनी, हँस रही है जोश में
और पतंगें गा रहे, हाँ, राग माल कौंस में
बनके नाचे बेहया, बेशरम पगली हवा
ज़िंदगी मिल के गले हँस रही दे-दे दुआ
बरसे-बरसे रे अंबर का पानी
जिसको पी-पी के धरती दीवानी
खिलखिलाने लगी है, मुस्कुराने लगी है
भीग गया मेरा मन
भीग गया मेरा मन
भीग गया मेरा मन
भीग गया मेरा मन